Saturday 2 August 2014

यौन उत्पीडन की शिकार महिला सिपाही न्याय को भटकती

यौन उत्पीडन की शिकार महिला सिपाही न्याय को भटकती

उस समय पुलिस लाइन, लखनऊ में गणना मुंशी के पद पर तैनात महिला आरक्षी के साथ तत्कालीन प्रतिसार निरीक्षक, लखनऊ कुलभूषण ओझा द्वारा सितम्बर 2013 में छेड़छाड़ की घटना की गयी. ओझा ने अपनी ताकत और पोजीशन का गलत इस्तेमाल कर उसके साथ सम्बन्ध बनाने की घृणित कोशिश की और उसे गलत स्थानों पर जबरदस्ती छुआ. विरोध करने पर ओझा ने उसे थप्पड़ भी मारे और धमकियां दी, उसे ईएल अवकाश तक नहीं लेने दिया और उसका स्थानान्तरण महिला थाना करा दिया.

महिला आरक्षी ने 21 सितम्बर को एसएसपी और 24 सितम्बर को डीआईजी, लखनऊ को प्रार्थनापत्र दिया जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. इसके बाद वे मुझसे मिलीं और वे मेरे साथ 26 सितम्बर को करीब 4 घंटे थाना महानगर में बैठी रहीं, तब जा कर बड़ी मुश्किल से उनका एफआईआर संख्या 75/2013 धारा 354ए, 506 आईपीसी दर्ज हुआ. रविन्द्र गौड़, तत्कालीन एसएसपी लखनऊ के आदेश से मुक़दमा 10 अक्टूबर को महिला थाना प्रभारी को विवेचना हेतु दिया गया.

महिला आरक्षी लगातार विवेचनाधिकारी शिवा शुक्ला से मिलती रहीं और बार-बार सही विवेचना करने का अनुरोध करती रहीं. शिवा शुक्ल उन्हें लगातार झूठा आश्वासन देती रहीं पर उन्होंने और उनके बाद वर्तमान महिला थाना इंचार्ज कनकलता दुबे ने केस डायरी के कुल 29 पर्चे काट कर 23 जुलाई 2014 को मामले में फाइनल रिपोर्ट संख्या बी-23 सीओ ऑफिस प्रेषित कर दिया.

यह बात भी तब मालूम हुई जब मैं और महिला आरक्षी कल 01 अगस्त को महिला थाना इंचार्ज से मिले. आज मैंने सीओ हजरतगंज राजेश कुमार श्रीवास्तव से मिल कर इस पूरे मामले पर कड़ा ऐतराज़ जताया है जिन्होंने फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकार कर दुबारा विवेचना कराये जाने की बात कही है.

यह स्थिति है उत्तर प्रदेश पुलिस की जहां स्वयं विभाग की यौन उत्पीडन की शिकार महिला आरक्षी को न्याय नहीं मिल रहा.

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