Thursday 25 September 2014

UP Policeman’s appeals for justice- No FIR after assault, attempt to snatch weapon

यूपी पुलिस के सिपाही की गुहार- असलहा छिनने का प्रयास, एफआईआर दर्ज नहीं

सहारनपुर जिले के सिपाही गौरव कुमार 06 सितम्बर 2014 को अपनी ड्यूटी कर के मोटरसाइकिल से पुलिस लाइन अपने कमरे के लिए वापस आ रहे थे. लगभग 11:50 पर सहारनपुर कचहरी के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया, मारपीट कर उनका सरकारी कार्बाइन लूटने का प्रयास किया.

गौरव ने एक का मोटरसाइकिल नंबर UP 11 R 6166 नोट कर लिया, 100 नंबर पर सूचना दी और थाना सदर जनपद सहारनपुर में लिखित सूचना दी लेकिन उनका एफआईआर दर्ज नहीं किया गया. बाद में 16 सितम्बर को अभियुक्त पकड़ कर थाने आये पर इंस्पेक्टर, सदर बिजेंद्र सिंह यादव ने एकतरफा समझौता करा कर अभियुक्तों को छोड़ दिया जबकि गौरव लगातार एफआईआर की मांग करते रहे.

कहीं कोई कार्यवाही नहीं होने पर गौरव ने मुझसे इस मामले में ईमेल पर मदद मांगी. मैंने उनसे पूरी बात समझ कर इंस्पेक्टर सदर से बात की तो बड़े हलके ढंग से कहा कि सिपाही जब लौट रहा था तो कुछ लोगों द्वारा शराब के नशे में हंगामा किया जा रहा था जिसे सिपाही द्वारा रोक कर मना करने पर उन लोगों द्वारा सिपाही से अभद्रता और गाली-गलौज की गयी थी जिसमे दोनों पक्षों को बैठा कर समझा दिया गया है.

मैंने गौरव से दुबारा इस बारे में बात की तो उन्होंने साफ़ कहा कि उन्होंने किसी समझौते के लिए सहमति नहीं दी थी जबकि इंस्पेक्टर जबरदस्ती उन्हें समझौते के लिए दवाब दे रहे थे और कह रहे थे कि एफआईआर दर्ज होने पर गौरव को बाद में कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

मैंने अब इस मामले में डीजीपी, यूपी को पत्र लिख कर ना सिर्फ एफआईआर दर्ज करने बल्कि अब तक कोई कार्यवाही नहीं होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए पूरे प्रदेश के लिए उचित सन्देश देने की मांग की है.

UP Policeman’s appeals for justice- No FIR after assault, attempt to snatch weapon

On 06 September 2014, Constable Gaurav Kumar of Saharanpur Police was going back to his room in Police Lines after his official duty. At around 11.50 in the night, a few unknown assailants attacked him and tried to snatch his official Carbine.  

Gaurav managed to note down the motorcycle number UP 11 R 6166 of one of these assailants and immediately informed Police control room at number 100. He also immediately went to Sadar police station and give a written complaint but the police did not register his FIR. Later, the assailants were identified and they were brought to the police station on 16 September where Gauarv was also called. Bijendra Singh Yadav, Inspector, Sadar forcibly got a compromise imposed on Gauarv despite his insistence on getting his FIR registered.

At this stage, Gaurav sought my help by sending the facts on email. Having understood the matter from Gauarv on phone, I talked to Inspector, Sadar who said very casually that when the Constable was returning back, he saw a few persons creating nuisance in drunken state. When the constable tried to control them, these persons abused and misbehaved with him, after which the matter has been subsided after proper talks between the two parties.

When asked again, Gauarv clearly said that though he had been called in the police station but he had never agreed for any compromise while the Inspector had been unilaterally pressurizing him to get the matter over, saying that pursuing the matter would lead Gaurav to many personal hardships.

I have written to DGP, UP seeking not only registration of FIR but also seeking strict action against the policemen responsible for the inaction so far, so that a proper message goes all over the State.

Dr Nutan Thakur
Social activist, Lucknow
# 094155-34525

Phone No of Constable Gaurav Kumar- 090455-77736, 095570-98446

Phone No of Inspector Sadar, Saharanpur- 094544-04194
Attached- Copy of FIR given by Gaurav Kumar


सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- जनपद सहारनपुर के वर्दी और हथियार से लैस आरक्षी
351 एपी श्री गौरव कुमार के साथ घटित आपराधिक घटना में उनकी तैनाती के जिले में कोई कार्यवाही नहीं होने विषयक 
महोदय,
      मैं आपके समक्ष आपके विभाग के एक आरक्षी के साथ घटित हुई आपराधिक घटना में आपके ही विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने और उक्त आरक्षी के न्याय के लिए भटकने की एक घटना प्रस्तुत कर रही हूँ जो यह स्पष्ट कर देगा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की वास्तविक स्थिति क्या है.

प्रकरण यह है कि जनपद सहारनपुर के आरक्षी 351 एपी श्री गौरव कुमार का एक मेल मुझे दिनांक 20/09/2014 को समय 12.48 पर उनके ईमेल Gaurav Kumar <gauravkmr787@gmail.com>  से मेरे ईमेल nutanthakurlko@gmail.com पर प्राप्त हुआ (संलग्नक एक). इस मेल के अनुसार दिनांक 06/09/2014 को अपनी ड्यूटी समाप्त करने के बाद अपने मोटरसाइकिल पर ड्यूटी के स्थान से पुलिस लाइन स्थित अपने कमरे के लिए वापस आ रहे थे. लगभग 11:50 पर सहारनपुर कचहरी के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया और उनके साथ मारपीट करते हुए उनका असलाह (कार्बाइन) लूटने का प्रयास किया. श्री गौरव ने किसी तरह अपनी जान बचाई लेकिन इस दौरान उन्होंने इनमें से एक के मोटरसाइकिल का नंबर UP 11 R 6166 नोट कर लिया. श्री गौरव ने इस दौरान पहले तुरंत 100 नंबर पर सूचना दी लेकिन वहां से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई. फिर उन्होंने थाना सदर जनपद सहारनपुर को जा कर एक लिखित सूचना दी लेकिन आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है बल्कि थाने द्वारा उनका मुक़दमा तक लिखने से मना कर दिया गया है. ईमेल के अनुसार थाने द्वारा इन लोगों को बाद में पकड़ कर थाने में लाया गया लेकिन थाने से ही छोड़ दिया गया. श्री गौरव ने मुझसे इस मामले में मदद करने की प्रार्थना की.
मैंने श्री गौरव से उनका फ़ोन नंबर माँगा जो उन्होंने
9557098446 बताया. मैंने और मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर, आईपीएस ने श्री गौरव से उनके फोन पर विस्तृत वार्ता की.
श्री गौरव ने इन वार्ता के दौरान बताया कि जब वे ड्यूटी से वापस लौट रहे थे तो कचहरी के पास अकस्मात् ही इन चार लोगों ने उन पर हमला कर दिया और असलाह लूटने की भी कोशिश की. कण्ट्रोल रूम में सौ नंबर से कोई मदद नहीं मिली तो वे भाग कर रात करीब
12.10 बजे थाना सदर बाज़ार पहुंचे जहां उन्होंने सारी बात बतायी जिसके आधार पर थाने द्वारा वायरलेस पर सभी को सूचना दी गयी. उन्होंने मोटरसाइकिल नंबर सहित एक लिखित तहरीर थाने को दी. (संलग्नक दो) वहां इंस्पेक्टर नहीं थे पर श्री अनिल कुमार, मुंशी थे.
घटना के छः-सात दिन बाद दिनांक
16/09/2014 को अभियुक्तगण पकड़ कर थाने लाये गए और उन्हें भी थाने के एक सिपाही ने फोन पर सूचना दी. वे थाने गए जहां इंस्पेक्टर, सदर श्री बिजेंद्र सिंह यादव ने उनसे बार-बार समझौता करने को कहा और कहा कि वे मामले को यहीं समाप्त कर दें नहीं तो उन्हें कई प्रकार से दिक्कत झेलनी पड़ेगी. इंस्पेक्टर सदर ने कहा कि मामला ख़त्म करो नहीं तो मुक़दमा लड़ना पड़ेगा जिसमे बहुत दिक्कत आएगी. श्री गौरव के बार-बार समझौता करने से मना करने के बाद भी इंस्पेक्टर ने उनका मुक़दमा नहीं लिखा और जबरदस्ती यह घोषित कर दिया कि समझौता हो गया और उन्होंने सभी अभियुक्तों को बड़े आराम से थाने से वापस भेज दिया.  
इस दौरान श्री गौरव को ज्ञात हुआ कि उन चार लोगों के नाम श्री रजनीश कुमार शर्मा पुत्र श्री राजकुमार शर्मा, श्री सिद्धार्थ सैनी पुत्र श्री ललित सैनी, श्री ललित सैनी और श्री अंकुर पुत्र श्री प्रेमचंद थे. श्री गौरव ने इस जानकारी के बाद एक दूसरा तहरीर भी थाने पर दिया लेकिन उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है और आज स्थिति यह है कि घटना के लगभग बीस दिन बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सिपाही अपने साथ हुए मारपीट, गाली-गलौज और हथियार छीनने के प्रयास की घटना में कार्यवाही कराने के लिए दर-दर भटकने को बाध्य हो रहा है और यह कहने को मजबूर हो रहा है कि “मैम, मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूँ और तनावग्रस्त रहने लगा हूँ.”
मैंने इस मामले में सदर, सहारनपुर के इंस्पेक्टर से उनके सीयूजी फोन
094544-04194 पर बात की तो उन्होंने बड़े हलके ढंग से कहा कि सिपाही जब लौट रहा था तो कुछ लोगों द्वारा शराब के नशे में हंगामा किया जा रहा था जिसे सिपाही द्वारा रोक कर मना करने पर उन लोगों द्वारा सिपाही से अभद्रता और गाली-गलौज की गयी थी जिसमे दोनों पक्षों को बैठा कर समझा दिया गया है. अतः इसमें अब कोई बात नहीं है. आप समझ सकते हैं कि इंस्पेक्टर का यह कथन कितना लचर और गैर-वाजिब है क्योंकि यदि उनकी ही बात सही मानी जाए तो भी इतना तो था ही कि एक वर्दीधारी पुलिसवाले कुछ आपराधिक लोगों द्वारा मध्य रात्री में शराब के नशे में गाली-गलौज और मारपीट की गयी थी, अतः ऐसे गंभीर मामले में क्या, क्यों और कैसे समझौता कराया गया यह बात मेरी समझ के परे जान पड़ती है. इस बात पर भी श्री गौरव स्पष्ट कहते हैं कि उन्होंने कोई समझौता नहीं किया था और कार्यवाही की मांग की थी जबकि इंस्पेक्टर जबरिया समझौता कराना चाह रहे थे और उन्होंने एकतरफा ऐसा मान लिया कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया जबकि श्री गौरव आज भी ऐसा कोई समझौता नहीं चाहते हैं.
मैं जानती हूँ कि जैसे ही यह प्रकरण आपके व्यक्ज्तिगत संज्ञान में आएगा इसमें अत्यंत प्रभावी कार्यवाही होगी पर क्या यह अपने आप में पर्याप्त होगा? क्या यह प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण नहीं है कि आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों जिसमे सहारनपुर के एक सिपाही की खुद के साथ वर्दी में हुए आपराधिक कृत्य की एफआईआर उसकी तैनाती के जिले में दर्ज ही नहीं हुई, और उन्हें मेरे जैसे एक सामाजिक कार्यकर्ता से गुहार करनी पड़ी? आप सहमत होंगे कि यदि पहले ही वाजिब कार्यवाही हो जाती तो एक सिपाही को अपनी एफआईआर के लिए कहीं गुहार नहीं करनी पड़ती और ना ही उन्हें इसके लिए परेशान और तनावग्रस्त होना पड़ता. अतः मेरा आपसे निवेदन है कि जहां आप कृपया तत्काल इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्यवाही करवाने की कृपा करें वहीँ ऐसा करने में विफल रहे सभी लोगों के खिलाफ भी कठोरतम दंडात्मक कार्यवाही करें ताकि यह पूरे प्रदेश में एक नजीर के रूप में प्रस्तुत हो और दुबारा ऐसी नौबत कभी ना आये. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आगे भी उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही इसी तरह मारे-पीटे जाते रहेंगे और उनकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं होगा.
पत्र संख्या- NT/Shr/gaurav                                              भवदीय,
दिनांक-
25/09/2014
                                                                (डॉ नूतन ठाकुर )
                                                           
      5/426, विराम खंड,
                                                              गोमती नगर, लखनऊ

                                                                                                                                                                                # 94155-34525

श्री गौरव कुमार का ईमेल-

Jai Hind Mam. I m constable in UP Police, my Posting Saharanpur. 06/09/2014 ko duty se aane ke dauran raat ko samay 11:50 par kuch agyat logo ne mere upar hamla kiya aur mere sath marpit ki aur mera aslah lutne ka prayas kiya aur maine unka samna kiya aur apne aslahe aur apni jaan ko bachaya lekin un logo ko mai pakdne me nakam raha lekin maine unme se 1 ki bike ka no. Not kar liya tha. Jiski turant
suchna maine 100 no. Ko di aur aur thane ko suchna di aur maine thana Sadar ko Gadi no. UP 11 R 6166 Ke aadhar par likhit me suchna di lekin Thana Sadar Saharanpur ne aajtak us me koi karyavahi nahi ki hai aur Muladma likne se bhi mana kar diya aur unhe pakad kar mujhe bina bataye chod diya. Aise me mam mai bahut jyada pareshan ho gaya hu aur tanavgrast rahne laga hu. Agar vo log mera aslaha chinne me safal ho jate to mere upar bibhag ki taraf se turant karyavahi ki jati aur mujhe jail bhej diya jata... Please Mam Help me JAI HIND

Wednesday 10 September 2014

Shameless, feel like resigning from Police- UP police constables



Shameless, feel like resigning from Police- UP police constables

Today I went to Ashiana police station and the scene of occurrence there for fact-finding exercise

While station officer Sudhir Kumar Singh said that nothing special had happened, victim Constables Kamal Kishor Yadav and Ved Prakash Yadav after much cajoling narrated many starting facts

The Constables told that Guddu Yadav and his men openly abused them and dared them with serious consequences, saying that even the SSP did not count much to them. The Constables were also chased with sandals.  They told that other than a SP MLA, an SP rank officer presently posted in Lucknow district reached police station in civvies in a private Maruti Swift Desire within 30 minutes of incidence and he also blamed these constables. 

Constables said that if policemen are chased with sandals, Khadi naturally loses all respect. They said they felt like resigning from police service. They had been told to remain in civvies and being sent on forced leave.

Businessman Arun Kumar Gupta said that he had to compromise because of the influence wielded by Suresh Yadav. I have met the DGP, UP A L Banerjee and asked him to get an independent enquiry conducted through an IG rank officer of the DGP office and take stern action in this case. Mr Banerjee assured action and directed IG Public Grievances to conduct the enquiry. 

घटिया हालात, नौकरी छोड़ना बेहतर- यूपी पुलिस के सिपाही

मैंने आज थाना आशियाना और घटनास्थल पर जा कर घटना की तहकीकात की. जहां थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि कोई बात नहीं हुई थी वहीँ पीड़ित सिपाही कमल किशोर यादव और वेद प्रकाश यादव ने काफी डरते-डरते कई सारी गंभीर बातें बतायीं.

इन सिपाहियों ने बताया कि उन्हें मौके पर गुड्डू यादव और उनके लोगों द्वारा गाली-गलौज किया गया. यह भी कहा गया कि तुम्हारी क्या औकात है, हम तुम्हारे एसओ की भी वर्दी उतरवा लेंगे. जूता-चप्पल ले कर इन्हें दौड़ाया गया. उन्होंने बताया कि सपा विधायक के अलावा राजधानी में तैनात एसपी स्तर के अफसर भी घटना के आधे घंटे में मारुति स्विफ्ट डिजायर से सादे में थाने में पहुँच गए थे और इन सिपाहियों को भला-बुरा भी कहा.

सिपाहियों ने कहा कि यदि जूता-चप्पल ले कर दौड़ा लिया जाये तो वर्दी की क्या इज्जत रह जायेगी, मन करता है कि इस जलालत से अच्छा है कि नौकरी छोड़ देंउन्होंने बताया कि थाने में उन्हें वर्दी पहनने से मना किया गया है और जबरदस्ती छुट्टी भेजा जा रहा है.

व्यापारी अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि सुरेश यादव के हनक के कारण उन्हें समझौता करना पड़ा. मैंने डीजीपी, यूपी ए एल बनर्जी से मिलकर उन्हें इन सभी तथ्यों से अवगत कराया और उनसे इस मामले की जांच डीजी मुख्यालय के आईजी रैंक अफसर से करा कर कठोर कार्यवाही कराने की मांग की है. श्री बनर्जी ने कार्यवाही का भरोसा दिलाया और आईजी लोक शिकायत को जांच के आदेश दिए.



Dr Nutan Thakur
#094155-34525


डीजीपी को दिया गया पत्र---

सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- थाना आशियाना, जनपद लखनऊ में सिपाहियों से हुई अभद्रता विषयक
महोदया,
                कृपया आज दिनांक- 10/09/2014 को विभिन्न समाचारपत्रों में थाना आशियाना, जनपद लखनऊ में घटी घटना के सम्बन्ध में छपे समाचारों (प्रतिलिपि संलग्न) का उल्लेख लें जिनमे कहा गया है कि थाना आशियाना, जनपद लखनऊ के दो सिपाही श्री कमल किशोर यादव और श्री वेद प्रकाश यादव को वहां के एक दबंग श्री सुरेश यादव के पुत्र श्री गुड्डू यादव और उसके गुंडों द्वारा सार्वजनिक रूप से घोर अभद्रता और बदमाशी करने के बाद भी थाने पर श्री सुरेश यादव के दवाब में थाने पर समझौता करा दिया गया. इन समाचार में यह भी कहा गया कि खुद पीटने के बाद भी यही सिपाही रातोंरात लाइन हाज़िर भी किये गए थे और बाद में जब मीडिया में दूसरे तरह की खबर छपी तो मुंह छिपाने को वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने उन्हें वापस थाने भेज दिया.
मैं आज दिनांक- 10/09/2014 को समय लगभग बारह बजे स्वयं इस प्रकरण की अपने स्तर पर जांच करने थाना आशियाना गयी. वहां अन्य लोगों के अलावा मेरी मुलाक़ात थानाध्यक्ष तथा स्वयं दो सिपाही श्री कमल किशोर यादव और श्री वेद प्रकाश यादव से हुई जिनमे श्री कमल किशोर और श्री वेद प्रकाश ने पहले तो कुछ भी कहने से मना कर दिया पर बहुत समझाने के बाद बहुत डरते-डरते मुझे विस्तार में काफी कुछ बातें भी बतायी. मैंने इसके अलावा पीड़ित व्यापारी श्री अरुण कुमार गुप्ता से भी उनकी दुकान पर मुलाक़ात की और उन्होंने भी लगभग सारी बात विस्तार में बतायी.
मैं इन लोगों से हुई बातचीत के प्रमुख भागों को यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ-
1.       श्री सुधीर कुमार सिंह, थानाध्यक्ष- उन्होंने कहा कि कि ख़ास बात नहीं हुई थी. दो पक्षों में विवाद हुआ था जिसके बाद व्यापार मंडल और काम्प्लेक्स वाले पक्ष के लोग थाने पर आये थे. दोनों पक्ष के लोगों ने आपस में बैठ कर मामे में सुलह कर ली और प्रकरण वहीँ समाप्त हो गया. इसके अलावा अन्य कोई बात नहीं है. पीटे हुए सिपाहियों के बारे में पूछने पर बताया कि वे दोनों छुट्टी पर हैं.
2.       श्री कमल किशोर यादव- मोबाइल नंबर 094522-30561, 091257-50743- बताया कि मामले की सूचना मिलने पर वे श्री वेद प्रकाश के साथ मौके पर गए थे. वहां जब वे पहुंचे तो मारपीट हो रही थी. वहां एक क्रेन खड़ी थी उसका शीशा तोड़ा गया था और मौके पर स्थिति तनावपूर्ण थी. दो-ढाई सौ की भीड़ थी. उनके साथ के कई लोगों ने भी उन्हें गालियाँ देनी शुरू कर दी. उन लोगों ने गाली-गलौज करने के अलावा सिपाहियों को सार्वजनिक रूप से जलील किया. साथ ही यह भी कहा कि तुम्हारी क्या औकात है, हम तुम्हारे एसओ की भी वर्दी उतरवा लेंगे. जूता-चप्पल ले कर इन दोनों सिपाहियों को दौड़ा लिया जिस पर वे वहां से अपनी जान बचाने को भागे. मैंने पूछा कि क्या आपको मारा भी था तो श्री कमल किशोर ने कहा कि मारा नहीं था पर यदि जूता-चप्पल ले कर दौड़ा लिया जाये तो वर्दी की क्या इज्जत रह जायेगी. थाने पर जब श्री कमल किशोर मुझसे मिले तो वे सादे में थे जिस पर मैंने सादे में होने का कारण पुछा तो उन्होंने मुझे बताया कि हमें कहा गया है कि जब तक मामला शांत नहीं हो जाये हम लोग बिना वर्दी के रहें. मैंने यह पूछा कि क्या आपने मामले की एफआईआर थाने पर दी थी तो उन्होंने कहा कि हमने लिख के अपने पास रखा था पर जब हमसे माँगा जाता तभी तो हम देते, हम पुलिस के सिपाही हैं और अनुशासन से बंधे है तो अपने से एफआईआर कैसे दे देते. मैंने पूछा कि किसके दवाब में यह सब हुआ तो उन्होंने कहा कि एक तो श्री सुरेश यादव का दवाब था, साथ ही उनके साथ प्रॉपर्टी का काम करने वाले समाजवादी पार्टी के एक विधायक और उसके अलावा लखनऊ में ही तैनात एक एसपी स्तर के अधिकारी जो श्री सुरेश यादव के रिश्तेदार भी हैं. इस घटना के आधे घंटे के अन्दर ही वे एसपी स्तर के अफसर मारुति स्विफ्ट डिजायर गाडी में सादे में थाने में पहुँच गए थे और उन्हने भी मामले को रफा-दफा करने में बड़ी भूमिका निभायी. उन एसपी साहब ने उलटे इन सिपाहियों को ही भला-बुरा कहा. इस घटना के बाद उक्त एसपी साहब श्री सुरेश यादव के घर भी गए. श्री अरुण कुमार गुप्ता भी एफआईआर लिए हुए था लेकिन उसे इतना डरा दिया गया कि वह अब डर के मारे कोई शिकायत नहीं कर रहा है.
3.       श्री वेद प्रकाश यादव- फ़ोन नंबर- 94502-20581- उन्होंने भी श्री कमल किशोर यादव द्वारा बतायी बातों को दुहराया. साथ ही कहा कि वहां मौके पर पहुँचते ही एक आदमी ने उनसे कहा कि उन्हें बुलाया कौन है. सिपाही ने कहा कि वे अपनी ड्यूटी पर हैं. इस पर श्री सुरेश यादव के पुत्र श्री गुड्डू यादव ने उन्हें कहा कि मेरे पास आओ, मैं बताता हूँ कि क्या बात है. फिर श्री गुड्डू यादव ने कहा कि यहाँ आने की हिम्मत कैसे हुई, तेरी क्या औकात है, तेरे कप्तान की भी क्या औकात है. उन्होंने कहा कि आप इस तरह बदतमीजी क्यों कर रहे हैं. इसके बाद उन्हें दौडाना शुरू कर दिया गया उन्होंने कहा कि कई बार मन करता है कि इस जलालत से अच्छा है कि नौकरी छोड़ दें. जब सब बातें अधिकारियों को मालुम थीं पर उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ तो इससे अच्छा है कि नौकरी छोड़ दें.
4.       श्री अरुण कुमार गुप्ता- फोन नंबर- 94506-79760- उन्होंने बताया कि वे अपनी दुकान में तिजोरी लगवाने के लिए दीवाल में काम करवा रहे थे. इसके लिए काँटा-वाला, लाटूश रोड से एक क्रेन आई थी जो उनकी दुकान के बाहर खड़ी थी. उसी समय श्री गुड्डू यादव और उनके साथ लगभग छ-सात लोग क्रेन के पास सड़क पर शोर-शराबा करने लगे. वहां लगी एक बोर्ड को तोड़ दिया, गाली-गलौज शुरू किया क्यूंकि शायद वे नशे में थे. श्री गुप्ता ने थाने में फ़ोन किया और वहां हंगामा देख कर किसी अन्य ने सौ नंबर पर फोन किया. जब दो पुलिसवाले आये तो उन्हें गाली-गलौज किया और जूता-चप्पल ले कर दौड़ा लिया. फिर कई सारे पुलिस वाले आ गए और श्री गुड्डू यादव को पकड़ कर थाने ले गए. वहां उनकी तरफ से कई लोग आ गए और पुलिस ने जबरदस्ती समझौता करा दिया. उन्होंने कहा कि चूँकि वहां उनकी सोने की दूकान है और श्री सुरेश यादव बहुत अधिक प्रभावशाली हैं अतः जब पुलिस के अफसरों ने उन पर समझौते का दवाब बनाया तो सब बातें सोच कर उन्होंने समझौता करना ही बेहतर समझा ताकि वे भविष्य में किसी परेशानी में ना पड़ जाएँ. उन्होंने कहा कि स्वयं समाजवादी पार्टी मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव से श्री सुरेश यादव की नजदीकी बतायी जाती है और यह भी आम चर्चा है कि पिछली बार जब श्री मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे तो श्री सुरेश यादव के परिवार के किसी बच्चे का नामकरण स्वयं श्री मुलायम सिंह ने किया था. इन कारणों से श्री अरुण गुप्ता और इलाके के सभी लोग श्री सुरेश यादव से डरते हैं और उन्होंने भी इसी डर के कारण समझौता कर लिया जबकि इस पूरे प्रकरण में एकपक्षीय गलती श्री गुड्डू यादव और उनके साथियों की थी
इन बातों के अलावा मैं आपसे निम्न बातें भी बताना चाहूंगी-
1.       श्री कमल किशोर और श्री वेद प्रकाश ने थाने में जो भी बातें बतायीं वे बहुत ही डर-डर कर बताई
2.       उन्होंने ये बातें भी मेरे द्वारा कई बार हिम्मत बंधाने के बाद बतायी
3.       ये बातें बताते समय वे दोनों बहुत ही डरे हुए और भयभीत लग रहे थे
4.       उन्होंने कई बार यह कहा कि वे अनुशासित विभाग में हैं और कहीं उनका आगे कोई नुकसान नहीं हो जाए
5.       वे अन्दर तक घबराए और दुखी लग रहे थे और उनके चेहरे का दर्द साफ़ जाहिर हो रहा था
ऊपर कही गयी इन बातों से निम्न तथ्य स्वतः ही स्पष्ट हो जाते हैं-
1.       इस प्रकरण में अभी पूरी तरह अन्याय हुआ है और स्थानीय पुलिस ने साड़ी बातें जानने के बाद भी अन्यायपूर्ण कार्यवाही की है और गुंडई पर लगाम लगाने की जगह पिटे हुए पुलिसवालों पर ही सारा दवाब बनाया जा रहा है
2.       पुलिस के दो सिपाही से गाली-गलौज हुआ, उन्हें दौड़ाया गया लेकिन उस पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई
3.       यह सीधे-सीधे पुलिस विभाग और वर्दी का अपमान है
4.       इस मामले में व्यापारी श्री अरुण कुमार गुप्ता के साथ भी अन्याय हुआ है
5.       इस प्रकरण में श्री गुड्डू यादव को उनके ऊँचे रसूख और राजनैतिक पहुँच के कारण सीधे-सीधे मदद पहुँचते दिख रहा है
उपरोक्त सभी तथ्यों के आधार पर मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि इस पूरे मामले की जांच आप अपने मुख्यालय के कम से कम आईजी रैंक के किसी ईमानदार और वरिष्ठ अधिकारी से करा कर जांच के आधार पर कठोर और निष्पक्ष कार्यवाही कराने की कृपा करें क्योंकि यह मामला केवल उन दो सिपाहियों से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह स्पष्टतया सार्वजनिक गुंडई और पूरे उत्तर प्रदेश पुलिस बल की मान-मर्यादा से जुड़ा मामला है. मुझे विश्वास है कि प्रकरण स्वयं आपके संज्ञान में आने पर इसमें न्याय होगा 
पत्र संख्या- NT/Ashiyana/01
दिनांक- 10/09/2014                                      भवदीय,

                                                                                                                                                (डॉ नूतन ठाकुर)
                                                                                                                                                5/426, विराम खंड,
                                                                                                                                                गोमतीनगर, लखनऊ
                                                                                                                                                #094155-34525